________________ जओ साहू जहन्नेणं अट्ठपवयणमायाओ उक्कोसेणं तु बारस अंगाई / सावगस्स वि जहन्नेणं तं चेव उक्कोसेणं छज्जीवणिया सुत्तओ अत्थओ वि, पिंडेसणज्झयणं न सुत्तओ, अत्थओ पुण उल्लावेणं सुणेइ / आवश्यकचूण्र्णौ // सीलंगाण सहस्सा अट्ठारस इत्थ हुंति नियमेणं / भावेणं समणाणं अक्खंडचरित्तजुत्ताणं // 355 // ३करणे ३जोए ४सन्ना रइंदिय १०भोमाइ १०समणधम्मे य / सीलंगसहस्साणं अट्ठारसगस्स णिप्फत्ती // 356 // करणाई तिन्नि जोगा मणमाईणि उ हवंति करणाई। .. आहाराई सन्ना चउ सोयइंदिया पंच . // 357 // भोमाई नव जीवा अजीवकाओ य समणधम्मो य। खंताइ दसपयारो एवं ठिए भावणा एसा // 358 // जे नो करिति मणसा निज्जियआहारसण्णसोइंदी। पुढवीकायारंभं खंतिजुया ते मुणी वंदे . // 359 // इय मद्दवाइजोगा पुढवी काए हवंति दस भेया। आउक्कायाईसु वि इय एए पिंडियं तु सयं // 360 // सोइंदिएण एवं सेसेहि वि जइमं तओ (इंदिएहिं) पंच सया। आहारसण्णजोगा इय सेसाई सहस्सदुगं - // 361 // एवं मणेण वयमाइएसु एवं हवंति छसहस्सा। न करे सेसेहिं पि य एए सव्वे वि अट्ठारा // 362 // अणदंस नपुंसित्थी वेयछक्कं च पुरिसवेयं च। . दो दो एगंतरिए सरिसे सरिसं उवसमेइ // 363 // उवसमसेणिचउक्कं जायइ जीवस्स आभवं नृणं / ता पुण दो एगभवे खवगस्सेढी भवे एगा // 364 // 254