________________ // 322 // पिंडं असोहयंतो अचरित्ती इत्थ संसओ नत्थी / चारित्तम्मि असंते सव्वा दिक्खा निरत्थिया - // 319 // निरवज्जाहाराणं साहूणं निच्चमेव उववासो। उत्तरगुणवुड्किए ते णं उववासमिच्छंति // 320 // ओसन्नो वि विहारे कम्मं सोहेइ सुलहबोही य / चरणकरणं विसुद्धं उवबूहंतो परूवंतो // 321 // अद्धमसणस्स सव्वंजणस्स कुज्जा दवस्स दो भाए। वाऊपवियारणट्ठा छब्भायं ऊणयं कुज्जा संसट्ठ 1 मसंसट्ठा 2 उद्धड 3 तह अप्पलेविया चेव 4 / उग्गहिया 5 पग्गहिया 6 उज्झियधम्मा य 7 सत्तमिया // 323 // दुक्करं खलु भो निच्चं अणगारस्स भिक्खुणो। सव्वं से जाइयं होइ नहु किंचि अजाइयं // 324 // जं न तयट्ठा कीयं नेव वुयं जन्न गहियमन्नेसि / आहड पामिच्चं णय कप्पए साहुणो वत्थं . // 325 // अंजणखंजणकद्दमलित्ते मूसगभक्खिय अग्गिहिं दड्डे। .. तुन्निय कुट्टिय पज्जव लीढे होइ विवागो सुहो असुहो वा // 326 // नवभागकए वत्थे चउरो कोणा य दोण्णि अंता य। दो कण्णावट्टीओ मज्झे वत्थस्स इक्कं तु // 327 // चत्तारि देवया भागा दुवे भागा य माणुसा। आसुरे य दुवे भागा एगो पुण जाण रक्खसो . // 328 // देवेसु उत्तमो लाभो माणुसेसु य मज्झिमो / आसुरेसु य गेलनं मरणं पुण जाण रक्खसे // 329 // मुल्लजुयं पुण तिविहं जहन्नयं मज्झिमं च उक्कोसं / जहन्ने अट्ठारसगं सयसहस्सं च उक्कोसं // 330 // . 251 .