________________ // 224 // // 225 // // 226 // // 227 // // 228 / / // 229 // जिणकप्पिया य साहू उक्कोसेणं तु एगवसहीए। सत्त य हवंति कहमवि अहिया कइया वि नो हुंति दुप्पसहो जा सूरी होहिंति जुगप्पहाण आयरिया / अज्जसुहम्मप्पभिई चउरहिया दुन्नि उ सहस्सा दुप्पसहंतं चरणं जं भणियं भगवया इहं खेत्ते / आणाजुत्ताणमिणं न होइ अहुण त्ति वामोहो पंचावन्नं कोडी पंचावनं च सयसहस्साई / पंचावन्नसहस्सा पंच सया पंच अहिया य तीयाणागयकाले केई होहिंति गोयमा ! सूरी / नामग्गहणे वि जेसिं होई नियमेण पच्छित्तं वूढो गणहरसद्दो गोयमपमुहेहिं पुरिससीहेहिं / जो तं ठवइ अपत्ते जाणंतो सो महापावो ससमयपरसमयविऊ गीयत्थो वच्छलो सुसीलो य / अविकत्थणो य सुगुरू नाणाविहदेसभासन्नू पडिरूवाई चउदस खंतीमाई य दसविहो धम्मो / बारस वि भावणाओ सूरिगुणा हुँति छत्तीसं ता कुलवहुनाएणं कज्जे निब्भच्छिएहिं वि कहिंचि / एयस्स पायमूलं आमरणंतं न मुत्तव्वं . छट्ठट्ठमदसमदुवालसेहिं मासद्धमासखवणेहि। अकरितो गुरुवयणं अणंतसंसारिओ होइ : भट्ठायारो सूरी भट्ठायाराणुवेक्खओ सूरी / उम्मग्गट्ठियसूरी तिन्नि वि मग्गं पणासंति गुरुपरिवारो गच्छो तत्थ वसंताण निज्जरा विउला / विणयाउ तहा सारणमाईहिं न दोसपडिवत्ती . 243 // 230 // // 231 // // 232 // // 233 // // 234 // // 235 //