________________ साहारण ओसरणे एवं जत्थिड्ढिमं तु ओसरइ। एक्को चिय तं सव्वं करेइ भयणा उ इयरेसुं // 164 / जे ते देवेहिं कया तिदिसि पडिरूवगा जिणवरस्स। तेसि पि तप्पभावा तयाणुरूवं हवइ रूवं . // 165 / मुणिवेमाणियसमणी सभवणवण जोइ देविदेवा य / वेमाणिय नरनारी ठंतिऽग्गेयाइविदिसासुं . . // 166 / भासासु विचित्तासुं सुरनरतिरियाण जीवजाईणं / संवायमणुहवंती स जयउ वाणी जिणिदस्स. // 167 / इंतं महिड्ढियं पणिवयंति ठियमवि वयंति पणमंता। . न वि जंतणा न विकहा म परुप्परमच्छरो न भयं // 168 / बिइयम्मि हुँति तिरिया तइये प्रायारमंतरे याणा। पागारजढे तिरिया वि हुंति पत्तेय मीसा व // 169 / तित्थं चाउव्वन्नो संघो सो पढमए समोसरणे / उप्पन्नो य जिणाणं वीरजिणिदस्स बीयम्मि - // 170 / वित्ती उ सुवन्नस्सा बारस अद्धं च सयसहस्साइं। तावइयं चिय कोडी पीइदाणं तु चक्किस्स . // 171 / एयं चेव पमाणं नवरं रययं तु केसवा दिति। मंडलियाण सहस्सा पीईदाणं सयसहस्सा // 172 / भत्तिविहवाणुरूवं अन्ने वि हु दिति इब्भमाईया। सोऊण जिणागमणं निउत्तमणिओइएसुं पि // 173 / सिरिउसहसेण 1 पहुसीहसेण 2 चारूरु 3 वज्जनाहक्खा 4 / चमरो 5 सुज्जोय 6 वियब्भ 7 दिन 8 पहुणोवराहो य 9 // 174 / पहुनंद१० कुत्थुहाविय११ सुभोम१२ मंदर१३ जसो१४ अरिह्यो य 1 चक्काउध 16 संबो१७ कुंभ१८ भिसय१९ मल्ली य२० सुंभो य२१ 238