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________________ // 48 // 49 // 52 // // 53 / भावा छच्चोवसमियखइया खओवसमियउदयपरिणामा / दुनवट्ठारिगवीसातिगभेया सन्निवाओ य .. उदइयखओवसमियपरिणामेहिं चउरो गइचउक्के / .... खइयजुएहिं चउरो तदभावे उवसमजुएहिं .. एक्केको उवसमसेढिसिद्धकेवलिसुं एयमविरुद्धा। पन्नरस सन्निवाइयभेया वीसं असंभविणो दुगजोगो सिद्धाणं केवलिसंसारियाण तिगजोगो। चउजोगजुयं चउसु वि गईसु मणुयाण पणजोगो इगदुगतिगसंजोगे चउसंजोगे य पंचसंजोगे। . सव्वे वि य अडसट्ठी भावा जंताउ नेयव्वा तिसु एग अट्ठपाओ तियद्धसाहिय चउट्ठभागो य / चउजुयले चउभागो दुयट्ठलक्खे सहस्सद्धं ससिसूरग्गहनक्खत्ततार पंचविहजोइससुराणं / तद्देवीण य जेटुं आउं पढ़मदुपंतीसु तह तइयचउत्थियपंतियासु तेसि पि देवदेवीणं / आउ जहन्नं नेयं तिसु एगिच्चाएँ गाहाए अणदंसनपुंसित्थी वेय छक्कं च पुरिसवेयं च / दो दो एगंतरिए सरिसे सरिसं उवसमेइ .. अणमिच्छमीससम्मं अट्ठ नपुंसित्थिवेयछक्कं च। पुमवेयं च खवेई कोहाईए य संजलणे एगिदियपंचविहा पत्तेयं सुहुमबायरा नेया। बायर दिट्ठीगम्मा सुहुमा पुण सव्वलोयम्मि केवलिगम्मा तत्थ य वणस्सई बायरा दुविहभेया। पत्तेया य अणंता सुहमा पुणऽणतया चेव // 54 / // 56 // // 57 // // 58 // 59 218
SR No.004467
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 17
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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