________________ अभिगहिय 1 मणभिगहियं 2 अभिनिवेसिय 3 संसई 4 अणाभोगा 5 मिच्छत्तं पंचविहं परिहरियव्वं पयत्तेणं . . // 486 / / एसि सद्दहणेणं सम्मत्तं तं च होइ पंचविहं / वेयग 1 खवग 2 उवसम 3 रोयग 4 तह मीस 5 सेसाणं।। 487 // जइ खमसि तो नमिज्जसि छज्जइ नामंति ते खमासमणो। अह न खमसि न नमिज्जसि नामं पि निरत्थयं तस्स // 488 // . तित्थयरा गणहारी सुरवइणो चक्कि केसवा रामा / संहरिया हयविहिणा इयरेसु नरेसु का गपणा // 489 // एगो जायइ जीवो एगो मरिऊण तह उवज्जेई। एगो भमइ संसारे एगो चिय पावए सिद्धि // 490 // संसारम्मि अणंते जीवा पावंति ताव दुक्खाई। जाव न करंति कम्मं जिंणवरभणियं पयत्तेणं // 491 // माणुस्स 1 खित्त 2 जाई 3 कुल 4 रूवा 5 रुग्ग 6 आउयं 7 बुद्धी 8 सवण 9 ग्गह 10 सद्धा 11 संजमो 12 उ इय लोयम्मि दुल्लहा सव्वे वि दुक्खभीरू सव्वे वि सुहाभिलासिणो जीवा / सव्वे वि जीवणपिया सव्वे मरणाओ बीहंति // 493 // मेरुगिरिकणयदाणं धन्नाणं जो देइ कोडिरासीओ। इक्कं च हणइ जीवं न छुट्टइ तेण दाणेण // 494 // कल्लाणकोडिजणणी दुरंतदुरियाइविग्घनिट्ठवणी। संसारजलहितरणी इक्का चिय होइ जीवदया // 495 / / चित्तं 1 चेअण 2 नाणं 3 विनाणं 4 धारणा 5 य बुद्धी 6 य / ईहापोह 7 वियारो 8 जीवस्स लक्खणा एए // 496 // एगस्स दुन्नि तिन्नि वि संखिज्जाणं न पासिउं सका। दीसंति सरीराइं पुढवीजीवा असंखिज्जा // 497 // 186