________________ परितुलिय कप्पपायव-चिंतामणिकामधेणुमाहप्पं / सम्मत्तमहारयणं पत्तं धणसत्थवाहेण // 168 // सव्वत्थ उचियकरणं गुणाणुराओ रई य जिणधम्मे / अगुणेसु अ मज्झत्थो सम्मद्दिट्ठिस्स लिंगाइ // 169 // सामन्नजण तव लिंग-धारिणो अगीयस्थ सेणियाईया / पंचुत्तरसुर संवेग-पक्खिणो अट्ठमा य जई // 170 // पढमा मिच्छादिट्ठी चउरो संसारभमणहेउ त्ति / इयरा सम्मदिट्ठी अरहा निव्वाणमग्गस्स // 171 // विस वेसानर विस हर-हरि करि अरिणो हणंति भवमेगं। मिच्छत्तं सत्ताए हणइ अणंताउ भवकोडि // 172 // दसणभट्ठो भट्ठो दंसणभट्ठस्स नत्थि निव्वाणं / सिझंति चरणरहिया दंसणरहिया न सिझंति // 173 // आरुग्गं सोहग्गं आणेसरियं मणिच्छिओ विहवो / सुरलोयसंपया वि य सुपत्तदाणाइदुम्मफला // 174 // दाणं सोहग्गकरं दाणं आरुग्गकारणं परमं / दाणं भोगनिहाणं दाणं ठाणं गुणगणाण // 175 // दाणेण फुरइ कित्ती दाणेण य हुंति निम्मला कंति / दाणावज्जियहियओ अरिणो वि य पाणियं वहइ // 176 / / अभयं सुपत्तदाणं अणुकंपा उचिय कित्तिदाणं च / दुन्नि वि मुक्खो भणिओ तिन्नि वि भोगाइयं दिति // 177 // मणवावारो गरुओ मणवावारो जिणेहि पण्णत्तो / अह नेइ सत्तमाए अहवा मुक्खं पयासेइ // 178 // आणंद१ कामदेवेर चुलणिपिया३ तह य सुरादेवे४ / . चुल्लसय५ कुंडकोलिय६ सद्दालपुत्तो७ य नायव्वो // 179 / / 159