________________ // 72 // // 73 // // 74 // // 75 // // 76 // // 77 // पंचगो पणिवाओ थयपाढो होइ जोगमुद्दाए / वंदण जिणमुद्दाए पणिहाणं मुत्तसुत्तीए दो जाणू दुन्नि करा पंचमगं होई उत्तमंगं तु / * संमं संपणिवाओ नेओ पंचंगपणिवाओ अन्नोऽन्तरअंगुलि कोसागारहिं दोहिं हत्थेहिं / पेट्टोवरिकुप्परसंठिएहि तह जोगमुद्द त्ति चत्तारि अङ्गलाई पुरओ ऊणाई जत्थ पच्छिमओ। पायाणं उस्सग्गे एसा पुण होई जिणमुद्दा मुत्तासुत्तीमुद्दा समा जहिं दो वि गब्भिया हत्था / ते पुण निलाडदेसे लग्गा अण्णे अलग्ग त्ति दाहिणवामंगठिओ नरनारिणोऽभिवंदए देवे। उक्किट्ठ सट्ठिहत्थुग्गहे जहन्नेण करनवगे . अट्टनवट्ठ य अट्ठवीस सोलस य वीस वीसामा। मंगल इरियावहिया सक्कत्थयपमुहदंडेसु . पंचपरमेट्ठिमंते पए पए सत्त संपया कमसो। पज्जन्तसत्तरक्खरपरिमाणा अट्ठमी भणिआ (अंतिम चूलाइतियं सोलस अट्ठ नवक्खर जुयं चेव। जो पढइ भत्तिजुत्तो सो पावइ सासयं ठाणं // ) इच्छ गम.पाण ओसा जे मे एगिदि अभिहया तस्म। इरियाविस्सामेसुं पढमपया हुंति दट्ठव्वा : अरिहं आइग पुरिसो लोमोऽभय धम्म अप्प जिण सव्वा / सक्कत्थयसंपयाणं पढमुल्लिंगणपया नेया अरिहं वंदण सद्धा अण्णत्थू सुहुम एव जा ताव / अरिहंतचेइयथए विस्सामाणं पया पढमा // 78 // // 79 // // 80 // // 81 // // 82)