________________ // 3 // // 4 // श्री हेमचन्द्रसूरिशिष्यश्रीचन्द्रमुनीन्द्रकृतः लघुप्रवचनसारोद्धारः // नमिऊण तमाइजिणं जस्स से सोहए जडामउडो / कप्पाकप्पवियारं पच्चक्खाणे भणिस्सामि // 1 // तिविहं पच्चक्खाणं दुतिचउविहभेयमित्थ निद्दिटुं / बहुविहमभिग्गहं पुण चउहाहारं भवे णिच्चं // 2 // दव्वओ खित्तओ चेव कालओ भावओ तहा। पच्चक्खाणं चउहा णायव्वं निउणबुद्धिहिं जं जं दव्वं वत्थुमुद्दिस्साणेगदव्वओ होइ / खेत्ताओ समयखित्तं भावेणाहागहिय भंग अद्धाओ पुण दसहा भावपमाणेहिं वण्णियं समए। अइया णागय कोडीसहियं सागार मनियर्से परिमाणं विगइगयं संकेयं निरवसेसमद्धा य / . अडभेयं सविसेसं संकेयं अट्ठहा होइ . // 6 // अंगुटुमुढिगंठीघरसेउस्सासथिबुगजोइक्खे / पच्चक्खाणविचाले किच्चमणभिग्गहो सुचिरं पव्वविसेसे पुव्वं कारिज्जइ तं तवं तमिह भावि / गुरु-गण-गिलाण-सिक्खंग-तवस्सिकज्जाउलत्तेणं तेणेव हेउणा जं किज्जइ तमइक्कमं च विण्णेयं / गोसे उववासाइ काऊण य बीयदिवसे वि // 9 // गोसे ति-चउआहारं पच्चक्खाई तमेवं भत्तटुं। इय कोडीदुगमिलणे कोडीसहियं ति नामेण // 10 // अहवा जं जं विहियं तमसंपुण्णे करेइ जं बीयं / अहियं वा ऊणं वा तं कोडीसहियमुद्दिढ़ // 11 // // 7 // // 8 // 135