________________ उवरिं उदगं भणियं पढमगबीएसु वाउसंखुभिओ। उ वामे उदगं परिवड्डइ जलनिही खुभिओ। // 1578 // परिसंठिअम्मि पवणे पुणरवि उदगं तमेव संठाणं। वड्डेइ तेण उदही परिहायइऽणुक्कमेणेव // 1579 // समओ जहन्नमंतरमुक्कोसेणं तु जाव छम्मासा / आहारसरीराणं उक्कोसेणं नव सहस्सा // 1580 // चत्तारि य वाराओ चउदसपुव्वी करेइ आहारं / संसारम्मि वसंतो एगभवे दोन्नि वाराओ // 1581 / / तित्थयररिद्धिसंदंसणत्थमत्थोवगहणहेउं वा / संसयवुच्छेयत्थं वा गमणं जिणपायमूलम्मि // 1582 // सग जवण सबर बब्बर काय मुरुंडोड्ड गोड्डपक्कणया / अरबाग होण रोमय पारस खस खासिया चेव // 1583 / / दुबिलय लउस बोक्कस भिल्लंध पुलिंद कुंच भमररुआ। कोवाय चीण चंचुय मालव दमिला कुलग्घा या . // 1584 // केक्कय किराय हयमुह खरमुह गयतुरयमिढयमुहा य / हयकन्ना गयकन्ना अन्ने वि अणारिया बहवे . // 1585 // पावा य चंडकम्मा अणारिया निग्घिणा निरणुतावी। धम्मो त्ति अक्खराइं सुमिणे वि न नज्जए जाणं . // 1586 // रायगिह मगह चंपा अंगा तह तामलित्ति वंगा य।. कंचणपुरं कलिंगा वणारसी चेव कासी यः // 1587 // साकेयं कोसला गयपुरं च कुरु सोरियं कुसट्टा य / कंपिल्लं पंचाला अहिछत्ता जंगला चेव // 1588 // बारवई य सुद्धा मिहिल विदेहा य वच्छ कोसंबी / नंदिपुरं संडिल्ला भद्दिलपुरमेव मलया य // 1589 // 133