________________ रोहिणीरिक्खदिणे रोहिणीतवो सत्त मासवरिसाई। सिरिवासुपुज्जपूयापूव्वं कीरइ अभत्तट्ठो // 1542 // एक्कारस सुयदेवीतवम्मि एक्कारसीओ मोणेणं। ... कीरंति चउत्थेहिं सुयदेवीपूयणापुव्वं . // 1543 // सव्वंगसुंदरतवे कुणंति जिणपूयखंतिनियमपरा।। अट्टववासे एगंतरंबिले धवलपक्खम्मि // 1544 // एवं निरुजसिहो. विहु नवरं सो होइ सामले पक्खे। तम्मि य अहिओ कीरइ गिलाणप्रडिजागरणनियमो // 1545 // सो परमभूसणो होइ जम्मि आयंबिलाणि बत्तीसं / अंतरपारणयाई भूसणदाणं च देवस्स // 1546 // आयइजणगोऽवेवं नवरं सव्वासु धम्मकिरियासुं। अणिगूहियबलविरियप्पवित्तिजुत्तेहिं सो कज्जो // 1547 // : एगंतरोववासा सव्वरसं पारणं च चेत्तम्मि / सोहग्गकप्परुक्खो होइ तहा दिज्जए दाणं // 1548 // तवचरणसमत्तीए कप्पतरू जिणपुरो ससत्तीए। कायव्वो नाणाविहफलविलसिरसाहियासहिओ / // 1549 // तित्थयरजणणिपूयापुव्वं एक्कासणाई सत्तेव। . तित्थयरजणणिनामगतवम्मि कीरंति भद्दवए // 1550 // एक्कासणाइएहिं भद्दवयचउक्कगम्मि सोलसहिं / होइ समोसरणतवो तप्पूयापुव्वविहिएहिं // 1551 // नंदीसरपडपूया निययसामत्थसरिसतवचरणा। . होइ अमावस्सतवो अमावसावासरुद्दिट्ठो . // 1552 // सिरिपुंडरीयनामगतवम्मि एगासणाइ कायव्वं। . चेत्तस्स पुन्निमाए पूएयव्वा य तप्पडिमा . // 1553 // 130.