________________ खीरमहुसप्पिआसव कोट्ठयबुद्धी पयाणुसारी य। तह बीयबुद्धितेयग आहारग सीयलेसा य. // 1494 / / वेउव्विदेहलद्धी अक्खीणमहाणसी पुलाया य। परिणामतववसेणं एमाई हुंति लद्धीओ // 1495 / / संफरिसणमामोसो मुत्तपुरीसाण विप्पुसो वा वि (वयवा)। अन्ने विडिति विट्ठा भासंति पइत्ति पासवणं // 1496 // एए अन्ने य बहू जेसि सव्वे वि सुरहिणोऽवयवा। रोगोवसमसमत्था ते हुंति तओसहिं पत्ता // 1497 // जो सुणइ सव्वओ मुणइ सव्वविसए उ सव्वसोएहि। .... सुणइ बहुए वि सद्दे भिन्ने संभिन्नसोओ सो // 1498 // रिउ सामन्नं तम्मत्तगाहिणी रिउमई मणोनाणं / ' पायं विसेसविमुहं घडमेत्तं चिंतियं मुणइ // 1499 // विउलं वत्थुविसेसण नाणं तग्गाहिणी मई विउला / चिंतियमणुसरइ घडं पसंगओ पज्जवसएहिं // 1500 // आसी दाढा तग्गय महाविसाऽऽसीविसा दुविहभेया। ते कम्मजाइभेएण णेगहा चउविहविकप्पा // 1501 // खीरमहुसप्पिसाओवमाणवयणा तयासवा हुंति / कोट्ठयधन्नसुनिग्गलसुत्तत्था कोट्ठबुद्धीया // 1502 // जोसुत्तपएण बहुं सुयमणुधावइ पयाणुसारी सो। जो अत्थपएणऽत्थं अणुसरइ स बीयबुद्धीओ // 1503 // अक्खीणमहाणसिया भिक्खं जेणाणियं पुणो तेणं / . परिभुत्तं चिय खिज्जइ बहुएहिं वि न उण अन्नेहिं // 1504 / / भवसिद्धियपुरिसाणं एयाओ हुंति भणियलंद्धीओ। भवसिद्धियमहिलाण वि जत्तिय जायंति तं वोच्छं // 1505 // 16