________________ सण्हा य सुद्ध वालुय मणोसिला सक्करा य खरपुढवी। एक्कं बारस चउदस सोलस अट्ठार बावीसा // 1098 // जोयणसहस्समहियं ओहपएगिदिए तरुगणेसु / मच्छजुयले सहस्सं उरगेसु य गब्भजाईसु // 1099 // उस्सेहंगुलगुणियं जलासयं जमिह जोयणसहस्सं / तत्थुप्पन्नं नलिणं विन्नेयं भणिय मित्तं तु // 1100 // जं पुण जलहिदहेसुं पमाणजोयणसहस्समाणेसुं / उप्पज्जइ वरपउमं तं जाणसु भूवियारंति // 1101 / / वणऽणंतसरीराणं एगमनिलसरीरगं पमाणेणं / अनलोदगपुढवीणं असंखगुणिया भवे वुड्डी // 1102 // विगलिंदियाण बारस जोयणा तिन्नि चउर कोसा य। सेसाणोगाहणया अंगुलभागो असंखिज्जो // 1103 // गब्भचउप्पय छग्गाउयाई भुयगेसु गाउयपुहुत्तं / पक्खीसु धणुपुहुत्तं मणुएसु य गाठया तिन्नि // 1104 // कायंबपुप्फगोलय मसूर अइमुत्तयस्स कुसुमं च। . सोयं चक्खू घाणं खुरप्पपरिसंठिअं रसणं // 1105 // नाणागारं फासिंदियं तु बाहल्लओ य सव्वाई। अंगुलअसंखभागं एमेव पुहुत्तओ मवरं // 1106 // अंगुलपहुत्त रसणं फरिसं तु सरीरवित्थडं भणियं / . बारसहिं जोयणेहिं सोयं परिगिण्हए सई // 1107 / / रूवं गिण्हइ चक्खू जोयणलक्खाओ साइरेगाओ। गंधं रसं च फासं जोयणनवगाउ सेसाणि // 1108 // अंगुलअसंखभागा मुणंति विसयं जहन्नओ मोत्तुं / चक्टुं तं पुण जाणइ अंगुलसंखिज्जभागाओ // 1109 //