________________ तित्थयरो असमत्थो जेसु वि कज्जेसु तेसु को. अण्णो। किं हुज्जा वि समत्थो ? ता कह सुअदेवयवराई ? - // 635 / इच्चाइअजुत्तीहिं मूढो मूढाण चक्कवट्टिसमो। न मुणइ वत्थुसहावं दिणयरदीवाइआहरणा // 636 / महफलओ सहगारो जंबूफलकारणं पि किं हुज्जा ? / कोहंडीफलहेऊ किं सहगारो समिद्धो वि? // 637 / संतम्मि अ तित्थयरे गोअमपमुहा वि साहुणो सव्वे। भिक्खट्ठा वि पविट्ठा कुलेसु गाहावईणं पि // 638 // णणु सुअदेवीथुणणे भवविरहवराइपत्थणा तीए। णो जुत्ता जमसंतं वत्थु किं को वि दिज्जा वि? // 639 // नेवं निअमो जम्हा दिति असंतं ति नेव संतं पि। जिणपमुहा सुअणाणं केवलणाणं च आहेरणं // 640 // जो पुण कत्थ वि नियमो दीसइ दव्वम्मि न उण भावे वि। अण्णह पडिमापमुहाऽऽराहणमवि निष्फलं पावे . // 641 // दव्वाउ दव्वभावा न य भावा किंचि हुज्ज दव्वाइ। तेणेव जगपवित्ती कारणविसया फलट्ठीणं // 642 // फलजणयं खलु कारणमिह दिटुं तं पि नेव फलजुत्तं / साहुसरीरा मोक्खो न सरीरं मोक्खसंजुत्तं // 643 // एवं कारणनिअयं कज्जं पुण कारणाइं णाणाई। तेणप्पमहविगप्पो गोवाण वि हासहेउ त्ति // 644 // अण्णह अरहंताई पंच पया तत्थ एगमेव पयं / जुत्तं जइ असमत्थो अरिहंतो किन्नु सेसेहि ? - // 645 // तेणेव वीसठाणाराहणमरहंतगुत्तसुनिमित्तं / भणिअं तत्थ वि पवयणपहावणा सा वि कह हुज्जा? // 646 // 412