________________ अट्ठमिचउदसिपुण्णिमअमावसासु विअ पोसहो णऽण्णो। इअ संवरपडिसेहो जिणदत्तमए महामोहो // 497 // अट्ठमिपमुहतिहीसुं निअमेणं पोसहो गिहीण वए। .. पडिवाइसु पुण नियमाभावो भणिओ अ तत्तत्थे // 498 // तत्तत्थवित्तिमाइसु न य पडिदिवस त्ति वयणमभिहाणं। . तप्परमत्थो अट्ठमिमाईसु पुणो पुणुच्चारो // 499 // सिक्खा पुण अब्भासो करणिज्जं पइदिणं खु तं पि वयं / अट्ठमिमाइसु कज्जो नन्नासु विरुद्धवयणमिणं // 500 // सिक्खावएसु चउसु वि तिण्णि वयाई तु सम्मयाई तुहं / पइदिणकरणिज्जाइं किं पोसहपंतभेएण? // 501 // न मुणइ अइप्पसंगं अतिहीणं संविभागकरणम्मि। नवमीपमुहतिहीसुं उवएसंतो वि निल्लंज्जो - // 502 // पडिकमणं पच्छित्तं रयणीदिणपमुहपावसंबंधी। तद्दिटुंतो संवररूवे कह पोसहे जुत्तो? // 503 // असिइसयं उववासा पच्छित्तं आगमुत्तमुक्कोसं / न तहा सेसतवेसुं संवररूवेसु निअमो वि // 504 // अहवा सिक्खचउक्के पडिनिअयदिणम्मि अंतिमं जुअलं। इअ हरिभद्दप्पमुहाण वयं सिद्धंतसुपसिद्धं // 505 // तत्थ पडिणिअसद्दो विवक्खिअत्थाण वायगो होइ / सा वि विवक्खा दुविहा निअमानिअमेहिं णायव्वा // 506 // णिअमेणऽट्ठमिपमुहा अणिअमेणेहरासु अ तिहीसु। . तेणं न प्पडिदिवसाचरणीआ निअमपडिसेहो / // 507 // जह साहूणं दाउं भुंजिज्ज सुसावओ न इअराणं। . अहव दिवबंभयारी न य रत्तिमभिग्गहो अम्हं // 508 // 400