________________ // 96 // // 97 एवं जुत्तिदिसाए सम्म अब्भसिअ तित्थआभासं / मुणिऊण तित्थसरणं कुणंतु भव्वा हु भट्ठा एवं तित्थसरूवं सम्मं मुणिऊण सुकयअब्भासो / विण्णू कुवक्खकोसिअसद्दनिरोहं सुहं कुणई .. एवं कुपक्खकोसिअसहस्सकिरणम्मि उदयमावण्णे / दस वि कुवक्खा विसरा विगयप्पसरा मुणेयव्वा नवहत्थकायरायकिअसममहिमम्मि चित्तसिअपक्खे। गुरुदेवयपुण्णुदए सिरिहीरविजयसुगुरुवारे इअ सासणउदयगिरि जिणभासिअधम्मसायराणुगयं / पाविअ पभासयंतो सहस्सकिरणो जयउ एसो / // 98 // // 99 // पाणुगय / // 100 // // 101 // // 102 // विश्राम-२ अह पगयं दंसेमो वित्थरओ किंचि जं च सामन्ना। भणिअंतित्थसरूवे दसस्सरूवं पसंगेणं दस वि अ एए पवयणपओसभावा पवयणओ भट्ठा / गुरुपरतंतविरहिआ उम्मग्गपरूवणारसिआ तत्थ य खमणो रमणो दुग्गइवणिआइ जेण वणिआए। न मुणइ मुत्तिं भुत्तिं केवलिणो कवलभोइस्स तस्सुप्पत्ती नवहिअछव्वाससएहिं वीरनिव्वाणा। . रहवीरपुरे कंबलकोहाओ सहस्समल्लाओ तम्मयमूलपरूवणमुवगरणं धम्मसाहणं जं च। तं पि अ परिग्गहो खलु मुच्छाभयदोसहेउ त्ति - // 103 // // 104 // // 105 // 355