________________ // 4 // महोपाध्यायश्रीधर्मसागरगणिविरचिता // प्रवचनपरीक्षा // विश्राम - 1 पणमिअ णाणनिहाणं वीरजिणं असुररायकयसरणं / सुरवरसीसविभूसणचरणरयं चारुवयणवयं जेणं दूसमसमए कुपक्खबहुले अ भारहे वासे / अच्छिन्नं पि अतित्थं पभाविअं पुण्णचरिआए चंदु व्व सोमलेसो सयलविहारेण लोअणाणंदो / आणंदविमलसूरी संविग्गो सव्वविक्खाओ तस्स पए पुण अहिणवसूरो दूरट्ठिआण बहुतावो / सिरिविजयदाणसूरी नामेण वि कुमयतममहणो तस्स वि पयम्मि विहिणा एगीकाऊण सोमसूरे अ।. घडिओ उभयसहावो तेणं सिरिहीरविजयगुरू संपइ तं जुगपवरं पणमित्ता पणयभावभावणं / सव्वम्मि अंजिअलोए लोअंतं नेहनयणेहिं // 6 // वीरजिणजम्मसङ्कन्तभासरासिप्पभावओ पउरा / पवयणपूआऽसहणा कुपक्खिआ ते म्मि दंसेमि // 7 // खवणय पुण्णिम खरयर पल्लविआ सड्ढपुण्णिमाऽऽगमिआ / पडिमा मुणिअरि वीजा पासो पुण संपई दसमो // 8 // पढमिल्लुआण उदए तित्थाओ के वि निग्गया के वि / तत्तो वि के वि मुच्छिमकप्पा पावाण पावयरा // 9 // तित्थं चाउव्वण्णो संघो तक्कारओ अ तित्थयरो / ' तेणं तं वुच्छिन्नं तित्थयराणण्णओ होइ तित्थयरो पुण तित्थंकरआणाराहणेण पुव्वभवे / अज्जिअजिणनामजुओ उप्पज्जइ सोहिजाइसरों // 11 // // 10 // 358