________________ // 362 // दससु वि वासेसेत्तो जिणिंदचंदाण सुणसु संठाणं / . वज्जरिसभसंघयणा समचउरंसा य संठाणे // 359 // बत्तीसं घरयाई काउं तिरियाऽऽययाहि रेहाहि / उड्ढाययाहि काउं पंच घराइं तओ पढमे // 360 // पनरसजिणं निरंतर, सुण्णदुगं, तिजिण, सुन्नतियगं च / दो जिण, सुन्न, जिणिदो, सुण्ण, जिणो, सुन्न, दोण्णि जिणा // 361 // दो चक्कि, सुण्ण तेरस, पण चक्की, सुण्ण, चक्की, दो सुन्ना। चक्की, सुन्न, दुचक्की, सुन्नं, चक्की, दुसुन्नं च दस सुण्ण, पंच केसव, पणसुन्नं, केसि, सुण्ण, केसी य / दो सुण्ण, केसवो वि य, सुण्णदुर्ग, केसव, तिसुन्नं // 363 // पंचसय 1 अद्धपंचम 2 चउरो 3 अद्भुट्ठ 4 तिन्नि य सयाई 4 / अड्ढाइज्जा 6 दोण्णि 7 य दिवड्ढमेगं 8 धणुसयं च 9 // 364 // नउई 10 असीइ 11 सत्तरि 12 सट्ठी 13 पण्णास 14 तह य पणयाला 15 / ' बायला अद्धधणुं 16 ईयाला अद्धधणुगं च 17 // 365 // चत्ताला 18 पणतीसा 19 तीसा 20 उणतीस 21 वीस अट्ठहिया 22 / छव्वीसा 23 पणवीसा 24 वीसा 25 तहसोल 26 पण्णरस 27 // 366 // बारस 28 दस 29 सत्त धणू 30 रयणी णव 31 सत्त 32 होइ उच्चत्तं / जिण-चक्कवट्टि-केसव चउत्थघरयम्मि निद्दिटुं // 367 // उसभी पंच धणूसय 1, पासो नव रयणि, 23, सत्त वीरजिणो 24 / सेसऽट्ट 2-9, पंच 10-14, अट्ठ 15-22 य, पण्णा-दस- पंचपरिहीणा // 368 //