________________ तेसि बहुमज्झदेसे चाउस्साले ततो विउव्वेति / मझे तेसि तिनि य रयंति सिंहासणवराई // 168 // ताहे जिणजणणीओ जिणसहिया दाहिणे चउस्साले। सीहासणे ठवित्ता सयपाग-सहस्सपागेहि // 169 // अब्भंगेऊण तओ सणियं गंधोदएण सुरभीणं / उव्वट्टेऊण तओ पुरत्थिमं नेति चउसालं // 170 // तत्थ ठवेउं सीहासणेसु-मणि-कणग-रयणकलसेहिं / पउमुप्पलप्पिहाणेहिं सुरभिखीरोयभरिएहिं // 171 // न्हावेऊणं विहिणा जणणीओ दस वि मंडिया विहिणा। लहुएहि जिणवरिंद(दे) दिव्वाभरणेहिं मंडंति // 172 // अह उत्तरिल्लभवणं नेउं सीहासणे निवेसित्ता / हरिचंदणकट्ठाई आणेउं नंदणवणाओ' // 173 // समिहाओ काऊणं अग्गीहोमं करेंति पययाओ। भूतिकम्मं काउं जिणाण रक्खं अह करेंति // 174 // तित्थयरकन्नमूले मणिमयपासाणवट्टए मसिणे। .. आवो(? लो)डेंति भणेति य 'महिहरआऊ भवंतु जिणा' // 175 / / रययामएहि हत्थं(? च्छं) अच्छरसा तंदुलेहिं विमलेहिं / तित्थयराणं पुरओ करेंति अटुट्ठमंगलयं // 176 // जल-थलयपंचवन्नियसव्वोउयसुरहिकुसुमकयपूयं / ' काउं कोउगभवणे चउद्दिसी घोसणं कासी // 177 // तित्थयरमाइ-पिउणो तित्थयराण य मणेण जो पावं / चितेज्ज तस्स हु. सिरं फुट्टिहि निस्संसयं सयहा // 178 // एवं उग्घोसेउं ताहे घेत्तुं जिणे समाहीए / ठावेंति जम्मभवणे सयणिज्जे हरिसियमणाओ // 179 // 71