________________ लहइ य उववासफलं सित्तुंज पुप्फमाल दस दितो / वीसाए छट्ठफलं, तीसाए अट्ठमं लहइ // 96 // चत्ताए दसमफलं, पन्नासाए य पुण दुवालसमं / / पक्खोववासं लहई दाणं दाऊण सेत्तुंजे // 97 // मासखमणं तु लब्भइ कप्पूरा-ऽगरु -तुरुक्कधूवेण / कत्तियमासक्खमणं साहूपडिलाहणे लहइ // 98 // वइसाहमासखमणं पुंडरिए जो करेइ जिणभवणं / सो होइ चक्कवट्टी चउसट्ठिसहस्सजुवइवई // 99 // पडिमाठवणापुण्णं सहस्सदाणेण लहइ सेत्तुंजे / जिणभवणे जं पुण्णं लक्खपयाणेण सो लहइ // 100 // सयदो सहस्सदाई लक्खपयाणेण पत्तईसरिओ / कीवो वि देह कागिणि तिन्नि समा हुंति नायव्वा // 101 // उत्तिमदाणं दितो उत्तिमपुरिसो य होइ अन्नभवे / मज्ञण होइ मज्झो, हीणयरो होइ -हीणेणं . // 102 // दाणेण होइ भोगी वच्चइ सग्गं तवेण उज्जुत्तो / नाणागमं करितो भावविसुद्धं लहइ मुक्खं // 103 // जीवियदाणं लद्धं जीवाणं मुक्खनिच्छयं नाउं / सुहकारणं तु एवं मयस्स किं दव्यभोगेहिं // 104 // जीवंतो परिभुंजइ आहारं पुष्फ-वत्थ-गंधाई / . तंबोलं इत्थिसुहं सयणा-ऽऽसण-खज्ज-पाणाइं // 105 // जीवियदाणं दितो देइ सया जीवभोगपरिभोगे / भोगत्थिणा निरुत्तं दायव्वं जीवियं जीए // 106 // सग्गं अवस्स वच्चइ तव-संजम-समिइ-गुत्तिसंजुत्तो। दसविहधम्मम्मि ठिओ वच्चइ सग्गं निरुवसग्गं // 107 // . . . . 55