________________ // 308 // // 309 // सोहम्मगमण चयणं वत्थवइ पहंकराए दुण्हं पि। भिससेट्ठिसुअभयघोसकेसवाणं इमे मित्ता . णिवसेट्ठिसत्थवाहामच्चंसुआ रोगमोअणा जइणो। सामण्णमच्चुअसुरा चयणं पुव्वे विदेहम्मि विजयम्मि पुक्खलावइ नामे नगरीए पुंडरगिणीए / जिणवइरसेणधारणिपुत्ता तो वइरणाभाई . अहयं च सारहिसुओ दिक्खा सव्वट्ठगमणमिह जम्मं / एयाइं अट्ठजम्माइं आसि अहं सामिणा समयं तिण्ह वि सुमिणाण फलं एयं भणियं गुणित्तिय गुरुस्स / रयणमयमाइपेढं कालेणाइच्चपेढंति - // 310 // // 311 // // 312 // 317