________________ रोहिणी 46 सोम 47 दितिदुर्ग 48-49 पुस्सो 50 पिति 51 भग ५२ऽज्जमा 53 हत्थो 54 // 379 // चित्तादि जेट्ठवज्जाणि अभिजिअंताणि अट्ठ रिक्खाणि 55-62 / एते जुगपुरिमद्धे ,बिसट्ठिपव्वेसु रविरिक्खा // 380 // चतुहिं भजितम्मि पव्वे एक्के सेसम्मि होति कलियोगे। बेसु य बादरजुम्मे, तिसु तेता, चतुसु कडयं तु . // 381 // कलिओगे तेणउती पक्खेवो, बातरम्मि बावट्ठी / तेतायमेक्कतीसा, कडपव्वे णत्थि पक्खेवो // 382 // सेसऽद्धे तीसगुणे बावट्ठीभाइतम्मि जं लद्धं / जाणे ततिसु मुहुत्तेसु अहोरत्तस्स तं पव्वं // 383 // अवमास पुण्णमासी एवं विविधा मए समक्खाता / . एत्तो पणट्ठपव्वं वोच्छामि अहाणुपुव्वीए - // 384 // जइ कोई पुच्छेज्जा, सूरे उठेंतकम्मि अभिजिस्स। . एक्ककला पडिवण्णा किं पव्वं ?. को इधी तइया ? // 385 // जध अभिजिस्स कलाएवं(? कलेव) अवसेंसाणं पि नाउमिच्छेज्जा नट्ठम्मि कोति पव्वे सुण करणं एत्थ वोच्छामि // 386 // इच्छानक्खत्तातो अभिजिमुपादाय संखिवे तु कला / इच्छाकलूणकाले कतम्मि इणमो हवे करणं छेत्तूण य छेदं तेरसेहिं तेणउइतेहिं संगुणए / * अट्ठारस तीसइते पुणो भजे सेसगं रासिं : // 388 // एकट्ठीय विभत्ते जे लद्धा तत्थ होति पक्खेवो / पण्णरसभागलद्धा य पव्वगा अंसगा य तिधी // 389 // जुगभजितं जं सेसं तं अद्धकलाहिं दोहिं नायव्वं / पुव्वकरणं करेज्जो कलाय सत्तट्ठिमो भागो // 390 // 280 // 387 //