________________ पण्णरसेव मुहत्ते योजित्ता उत्तराअसाढाणं / एकं च अहोरत्तं पविसति अभिंतरं चंदो // 267 // दस य मुहुत्ते सगले मुहुत्तभागे य वीसति चेव / पूसविसयं अभिगतो बहिता अभिणिक्खमति चंदो // 268 // एता आउट्टीओ भणिता मे वित्थरं पमोत्तूणं / / णक्खत्त-सूर-ससिणो गति तु सुण मंडलेसुं तु // 269 // एगूणसविरूवा सत्तहिं अधिगा य तिण्णि अंससता / तिण्णेव य सत्तट्ठा छेदो तेसिं च बोद्धव्वो // 270 // एतेण तु भजितव्वो मंडलरासी हवेज्ज जं लद्धं / सा होति मुहत्तगती रिक्खाणं मंडले णियतो // 271 // मंडलपरिरयरासी सट्ठीय विभाजितम्मि जं लद्धं / . सा सूरमुहत्तगती तहिं तर्हि मंडले णियया // 272 // बावढेि पुण रूवा तेवीसं अंसा य बोद्धव्वा / दो चेव एक्कवीसा छेदो पुण तेसि बोद्धव्वो . // 273 // एतेहि तु भजितव्वो मंडलरासी हवेज्ज जं लद्धं / सा. सोममुहत्तगती तहि तर्हि मंडले हवति // 274 // णक्खत्त-सूर-ससिणी एसा भणिता उ मंडलम्मि गती। एत्तो उडुपरिवाडि वोच्छामि अहाणुपुव्वीय // 275 // बे आदिच्चा मासा एगट्ठी ते हवंतऽहोरत्ता। एतं उडुपरिमाणं अवगतमाणा जिणा बेंति // 276 // सूरउडुस्साऽऽणयणे पव्वं पण्णरससंगुणं णियमा / तिहिसंखित्तं संतं बावट्ठीभागपरिहीणं // 277 // बिगुणेगट्ठीय जुतं बावीससतेण भाजिते णियमा / जं लद्धं तस्स पुणो छहि हितसेसं उडू होति // 278 // . .. . . 270