________________ // 216 // // 217 // दो चेव जंबुद्दीवे, चत्तारि य माणुसुत्तरनगम्मि। छच्च अरुणसमुद्दे, अट्ठ रुयगम्मि दीवम्मि असुराणं नागाणं, उदहिकुमाराण होति आवासा। अरुणोदये समुद्दे, तत्थेव य तेसि उप्पाया दीवदिसाअग्गीणं, थणियकुमाराण होंति आवासा / अरुणवरे दीवम्मि उ, तत्थेव य तेसि उप्पाया चोयालसयं पढमि-लुयाए पंतिए चंदसूराणं / तेण परं पंतीओ, चउरोत्तरियाए वुड्डी य जो जाइं सयसहस्साई, वित्थडो सागरो व दीवो वा। तावइया उ तहियं, पंतीओ चंदसूराणं // 218 // // 219 // // 220 // // चंदावेज्झयं पइण्णयं // जगमत्थयत्थयाणं विगसियवरनाण-दंसणधराणं / नाणुज्जोयगराणं लोगम्मि नमो जिणवराणं इणमो सुणह महत्थं निस्संदं मोक्खमग्गसुत्तस्स / विगहनियत्तियचित्ता, सोऊण य मा पमाइत्था // 2 // विणयं 1 आयरियगुणे 2 सीसगुणे 3 विणयनिग्गहगुणे य / / नाणगुणे 5 चरणगुणे 6 मरणगुणे 7 एत्थ वोच्छामि // 3 // जो परिभवइ मणूसो आयरियं, जत्थ सिक्खए विज्जं / तस्स गहिया वि विज्जा दुःक्खेण वि, अप्फला होइ // 4 // थद्धो विणयविहूणो न लभइ कित्तिं जसं च लोगम्मि / जो परिभवं करेई गूरूण गरुयाए कम्माणं सव्वत्थ लभेज्ज नरो विस्संभं सच्चयं च कित्तिं च / जो गुरुजणोवइ8 विज्जं विणएण गेण्हेज्ज 19