________________ पढम-बितिया तु चंदा तच्चं अभिवड्ढितं वियाणाहि / चंदं चेव चउत्थं पंचममभिवड्ढितं जाणे // 55 // चंद-मभिवड्ढिताणं वासार्ण पुव्ववण्णिताणं तु / तिविहं पि तं पमाणं जुगम्मि सव्वं णिरवसेसं आदी जुगस्स संवच्छरो तु, मासाणमद्धमासो तु / दिवसो भरहेरवते, राती य विदेहवासम्मि // 57 // दिवसादि अहोरत्ता, बहुलादीयाणि होति पव्वाणि / अभिजी णक्खत्तादी, रुद्दो आदी मुहुत्ताणं // 58 // सावणबहुलपडिवए बालवकरणे अभीयिणक्खत्ते / सव्वत्थ पढमसमए जुगस्स आदि वियाणाहि // 59 // अट्ठारस सट्ठसता तिधीण नियमा जुगं भवति एतं / . इच्चेव अहोरत्ता तीसा अट्ठारस सया तु // 60 // तत्थ पडिमिज्जमाणा पंचहिं माणेहिं तु [जह]कमेणं / मासेहिं विभज्जंता जदि मासा होतं ते वोच्छं / // 61 // आदिच्चो खलु मासो तीसं अद्धं च, सावणो तीसं / चंदो अगुणत्तीसं बिसट्ठिभागा य बत्तीसं // 62 // णक्खत्तो खलु मासो सत्तावीसं भवे अहोरत्ता / अंसा य एक्कवीसं सत्तट्ठिगतेण छेदेणं अभिवड्डितो तु मासो एक्कत्तीसं भवे अहोरत्ता / / भागसत एक्कवीसं चउवीससतेण छेदेणं : // 64 // आदिच्चेण तु सट्ठि मासा, उडुणो हवंति एगढेि / चंदेण य बासहूिँ, सत्तढेि होंति णक्खत्ते // 65 // सनावण्णं मासा सत्त य रातिदियाणि अभिवड्डे / एक्कारस य मुहुत्ता बिसट्ठिभागा य तेवीसं // 66 // 211