________________ // 120 // // 121 // // 122 // // 123 // // 124 // // 125 // अह सन्निवायभेया छावि हु संतो हवंति पन्नरस / एकेक ताव दुगजोगपढमतिगजोगपणजोगा सेसा पुणो विगप्पा तिन्नि गइचउक्कसंभवित्तेण / ग(गु)णिया चउक्कएणं बारस इय सव्वि पन्नरस धम्माइअजीवाण वि हवइ सया पारिणामिओ भावो। कम्मणखंधसरूवाणमुदइओ पोग्गलाणं पि रूविअरूविअजीवासएण दुविहा अजीवभावा उ। रूवीण पंचहा वन्नगंधरसफाससंठाणा वनो पंचपयारो गंधो दुविहो रसो य पणभेओ। फासो अट्ठविगप्पो संठाणा पंचभेइल्ला / परिमंडलं च वट्टं तंसं चउरंसमाययं च त्ति / संठाणपंचगं खलु तस्स सरूवं इमं होइ बहिवट्टमंतरे उण सुसिरं परिमंडलं जहा वलए / तं चेव सुसिररहियं वर्ल्ड घडगारचक्के व्व - कोणतिगेणाणुगयं तंसं सिंघाडगे व्व बोधव्वं / कोणचउक्कविसिटे चउरंसं कुंभियाए व्व आययसंठाणं पुण दीहं दंडे व्व तेसिमे भेया। ... पयर घण चरमवज्जं सेढी पयरं घणं चरमं तह परिमंडलवज्जं विसमपएसं च समपएसं च / / सव्वे य इमे भेया जहन्नया तह य उक्किट्ठा तत्थुक्किट्ठा सब्बे एगसहावा जओ असंखेसु / खपएसेसऽवगाढा अणंतपरमाणुनिप्फन्ना इयरे असमसरूवा विभिन्नसंखप्पएसवत्तणओ। अन्ननसंखपरमाणुजणियरूवत्तओ य जहा // 126 // 11 // 127 // // 128 // // 129 // // 130 // // 131 // . 243