________________ वित्थिण्णो (सय) पणवीसं, तत्थ य सीहासणं सपरिवार / नाणामणिरयणमयं, उज्जोयंतं दसदिसाओ // 168 // तिगिच्छिय दाहिणओ, छक्कोडिसयाइ कोडिपणपत्रं / पणवीसं लक्खाई, पंच य कोसे अइवइत्ता // 169 // ओगाहित्ताणमहो, चत्तालीसं भवे सहस्साई / अभिंतर चउरंसा, बाहिं वट्टा चमरचंचा // 170 // एगं च सयसहस्सं, वित्थिण्णा होइ आणुपुव्वीए / तं तिगुणं सविसेसं, परिरएणं तु बोधव्वा // 171 // पायारो नायव्वो, रायहाणीए चमरचंचाए / जोयणसयं दिवटुं, उव्विद्धो होइ सव्वत्तो // 172 // पन्नासं पणवीसं, अद्धतेरस जोयणाई तु / मूले मज्झे उवरि, विक्खंभो सुवन्नसालस्स // 173 // कविसीसगा य नियमा, आयामेणद्धजोयणं सव्वे। . कोसं विक्खंभेणं, देसूणं अद्धजोयणं तुच्चा . // 174 // एकेका बाहाए, दाराणं पंच पंच सयाई। तेसिं पुण उच्चत्तं, अड्डाइज्जं सया होति / / 175 // दाराणं विक्खंभो, पणवीससयं तहायए सो य / नगरीए चउद्दिसिं, पंचेव उ जोयणसयाइं . // 176 // गंतूणं वणसंडा, चउरो आयामओ य ते भणिया। साहीयसंहस्सं, जोयणाणं विक्खंभओ (सय) पंच // 177 // दारपमाणा चउरो, वणसंडा तत्थ पल्लयठितीया / देवा असोय तह सत्तवन्न चंपे य चूये य // 178 // चंचाए बहुमज्झं, विक्खंभायाम सोलससहस्सा। अह उवकारियलेणे, बाहल्लेणं अट्ठजोयणीए // 179 // 15