________________ // 72 // // 73 // // 74 // // 75 // // 76 // // 77 // वखंतहायमाणो, सुहुमो समयो मुहुत्त उक्कोसो। अहखाय वड्डमाणो, जहन्नउक्कोस अंतमुहू समओ जहण्णवट्ठिय, उक्कोसो पुव्वकोडी देसूणा। अहखाय संजओ खलु, वुत्तं परिणामदारमिणं सामाइयछेयपरिहार-गाय बंधंति सत्त वा अट्ठ। मोहाउवज्जियाओ, सुहुमो बंधेइ छच्चेव अहखाओ पुण एगं, सायं बंधेइ बंधरहिओ वा / वेदंति अट्ठ चउरो, अहखाओ सत्त चा चउ वा आइल्ल तिन्नि अड सत्त, छच्च वा आउवेयणियवज्जा / ... आउयवेयणिमोहणिवज्जा छ च पंच वा सुहुमो . पुव्वुत्ताओ पंच व, दुण्णि उदीरइ नामगोयाओ। कम्माणं पयडीओ, अणुदीरगो वा वि अहखाओ चइऊणय सामइयं, छेयं सुहमं असंयम वा वि / देसविरइ उवसंपज्जइ, सामाइय चारित्ती छेओवट्ठावणियं, चइउं सामाइयं व परिहारं / सुहुमं असंजमं वा, पडिवज्जइ देसविरई वा परिहारं परिहरिउं, छेयं अस्संजमं च पडिवज्जे / सुहुमाओ पढमदुर्ग, अहखायं अविरई वा वि अहखायं पुण चइउं, सुहुमं अस्संजमं च सिद्धिं वा / उपसंपज्जइ जीवो, उपसंपज्जहाण दारमिणं पढमा तिण्णि वि दुविहा, नो उवउत्ता दुवे य सण्णासु.। सामाइयाइ चउरो, आहारा दुविह अहखाओ इक्कं च भवग्गहणं, पंचण्ह वि संजयाण उंजहन्नं / उक्कोसेणं अट्ठ उ, दोण्हं तिण्हं तु तिण्णेव // 78 // // 79 // - // 80 // // 81 // // 82 // // 83 // 230