________________ // 60 // // 61 // // 62 // // 63 // // 64 // // 65 // पंचण्ह वि पत्तेयं, चारित्तिय पज्जवा भवेऽणंता / सट्ठाणे सामाइओ, समो व छट्ठाण हिणअहिओ परठाणे छट्ठाणो, दुण्हं तु णंतगुणहीणो छेओ। एवं तिसु छट्ठाणो, दुसु अणंतगुणहीणो परिहारे विय एवं, सुहुमो तिण्हं अणंतगुणअहिओ। सट्ठाणेणंतगुणो, हीणो अहिओ व तुल्लो वा अहक्खायस्सय ठाणे, हीणो अणंतगुणअहक्खाओ। हेटिलाण चउण्हं, अब्भहिओ तुल्ल सठाणे पढमाण दोण्ह तुल्ला, जहन्नगा चरणपज्जवा थोवा / परिहारस्स जहण्णा-णंतगुणा उक्कसाणंता. पढमाण दोण्ह तुल्ला, उक्कोसा पज्जवा अणंतगुणा / तो सुहुमस्स जहन्ना, अणंतगुणा चरणपज्जाया तस्सेव य उक्कोसा-णंतगुणा हुंति तो अहक्खाए। . अजहण्णमणुक्कोसा-णंतगुणा सन्निगसदारं मणवयकाईय जोगा, पंच वि अहखायओ अजोगो वि। दुविहुवओगा चउरो, सुहुमो सागारउवओगो आइदुगि चउतिदुगइगकसाया, परिहारओ चउ कसाओ। सुहुमों एगकसाओ, खीणुवसंतो अहक्खाओ आइदुगे छल्लेसा, परिहारो होइ सुद्धतिल्लेसो। . सुहुमो सुक्को सुक्को, अहखाय अलेसओ वा पि वडूंत हायमाणय, अवट्ठिय परिणामया पढम तिण्णि / नो अवट्ठिओ उ सुहुमो, अहखाओ हायमाणो नो समयमवट्ठियभावो, जहन्न उक्कोस सत्तसमया उ। वडुंतहायमाणा, समयंतमुहुत्त तिण्हं पि ...... . 220 // 66 // // 67 // // 68 // // 69 // // 70 // // 71 //