________________ // 34 // // 35 // // 36 // // 37 // // 38 // // 39 // बहुसो अणाइसंसारसायरे नरयतिरियदुक्खाई। पत्ताई कम्मवसवत्तिजन्तुणा नत्थि संदेहो एवमणंतो जीवो मिच्छत्ताईनिबंधणमणंतं कम्मं / तत्तो संसारदुहसयाई च पुणारुत्तं एव त्ति अच्छिनिमीलियमित्तं नत्थि सुहं दुक्खमेव संतत्तं / नरए नेरईयाणं अहोनिसं पच्चमाणाणं / सागरमेगं ति य सत्त दस सत्तरस तह य बावीसा। तित्तीसं जाव ठिइ सत्तसु पुढवीसु उक्कोसा नरयाओ उव्वट्टो तिरिओ नरए पुणो वि तिरिएसुं। दमणंकणाइजणीयं भयतण्हछुहाइजणियं च दुक्खं नरयसमाणं तत्थ य मणुओ तु हयविहिनियोगा। हीणकुलजाइ जीवो पेसाण वि पिसणनिउत्तो. वाहिसयविहुरियंगो दारिद्दमहागहेण परिभूओ। पियविप्पओगविहुरियचित्तो दुहसागरमईइ अप्पियसमागमुब्भवदुहमुग्गरदलियमाणसो जीवो। .. पावइ जं दुहं तं जिणाउ को वागरेउ अन्नो चितासंतावेहि य दारिद्दरुयाहि दुप्पउत्ताहि / लभ्रूण वि माणुस्सं मरंति केइ सुनिविण्णा देवो वि पुढवीकाए उववज्जिउकामु तं विचितेइ। जं जिणवराउं अन्नो वागरिउं जे समत्थो को तं सुरविमाणविहवं चिंतिय चवणं च देवलोगाओ। अइबलिय चिय जन्न वि फुट्टइ सयसक्करं हिययं ता देवमणुयनारयतिरिक्खजोणिसु जाइं दुक्खाई। भाविभवभावुगाई हियए वियरंति ताण सया . 200 // 40 // // 41 // हा // 42 // // 43 // // 44 // // 45 //