________________ // 120 // // 121 // // 122 // // 123 // // 124 // // 125 // एगे महोरगा इह, अंगुलमित्ता य अंगुलपुहत्तं / रयणी रयणिपुहत्तं, कुच्छी कुच्छीपुहत्ता वि धणुहं धणुहपुहत्तं, गाउअ गाउअपुहत्तमित्ता वि / तह जोअणं च जोअण-पुहत्तिआ जोअणसयं च जोअणसयप्पुहत्तं, उक्कोसेणं महोरगा हुँति / उववज्जति थलिच्चिअ, विचरंति थले अ सलिले अ अंतो मणुस्सखित्ते, न हवंति अ तेण ते न दीसंति / तत्थ ह गिरिसुरनगरी-ठाणेसु थले अ जायंति उरपरिसप्पा नेआ, जे अन्ने हुंति सप्परूवा य। 'पज्जत्तापज्जत्ता, जलयरतुल्लं सरीराइं . ओगाहणा जहन्ना, नवरं अंगुलअसंखभागो अ। उक्कोसओ अ जोअण-सयपुहत्तं विणिद्दिटुं तेवनवाससहसा, ठिई अ उक्कोसओ हवइ एसिं / अंतमुहुत्त जहन्ना, सेसं तु तहेव बोधव्वं . भुअपरिसप्पा गोहा, नउला सरडा घरोइला सारा / खारा च्छीरविरालिअ, देसविसेसा बहू एए पज्जत्तापज्जत्ताण-मेसि देहाइ पुव्वमिव नवरं / अंगुलअसंखभागो-वगाहणा धणुपुहत्तं च बायालीस सहस्सा, वासाणि अ पसिमाउमुक्किट्ठ। अंतमुहुत्त जहन्नं, थलयरजीवाण विन्नेअं: खयरा चउहा भणिआ, चम्मपक्खी अलोमपक्खी अ। तईआ समुग्गपक्खी, तह य चउत्था विययपक्खी वग्गुलि अडिल जलोआ, जीवंजीवा समुद्दकागा य / भारंडपक्खिपमुहा, अणेगहा चम्मपक्खी अ . 175 // 126 // // 127 // // 128 // // 129 // // 130 // // 131 //