________________ // 92 // // 93 // // 94 // // 95 // // 96 // // 97 // एवंविहं च कुग्गहचक्कं छित्तुं विवेअचक्केणं / सक्कोवाहिसुद्धं सद्धम्मे कुणसु पडिबंध जइ ता तत्तगवेसी ता अणणुभवे वि माणि सव्वं / अह न तहा ता तम्माणणे वि सव्वं अणणुभूओ हियइच्छियाइं जह जह संपज्जंतीह कह वि जीवाणं / तह तह विसेसतिसियं चित्तं दुहियं चिय वरायं रागाईहि यऽवत्थं इओ तओ साहिउं किलेसवसा। जह जह तमणुभवेइ तह तह परिवुड्डई रोगो . उवभोगोवायपरो पसमेउं महइ विसयतण्हं जो। . नियछायक्कमणकए परोऽवरण्हे पहावेइ सुट्ट वि भुत्ता भोगा सुटु वि रमियं पिएहिं सह निच्वं / सुट्ट वि पियं सरीरं हा ! जिय ! कईया वि मुत्तव्वं जम्हा उ विसेसेणं सीयंति इमेसु कयमणा मणुआ। एएण कारणेणं विसय त्ति निरुत्तमेएसि एए उ महासलं इमे महासत्तुणो परं लोए। एए उ महावाही एए य परमदारिदं सल्लं हिअयनिहित्तं न सुहल्लं देइ देहिणो उ जहा। अंतो विचिंतिआ तह विसया वि दुहावहा चेव जह नाम महासत्तू दावेइ कयत्थणाउ विविहाओ। एमेव य विसया वि हु अहवा एए परभवे वि जह नाम महावाही विहुरत्तं कुणइ इहभवम्मि तहा। . विसया वि नवरमेए भवंतरेसु वि अणंतगुणं ठाणं पराभवाणं सव्वाण जहेह परमदारिदं / विसया वि किर तह च्चिअ पराभवाणं परं ठाणं / / 98 // // 99 // // 10 // // 101 // // 102 // // 103 // 286