________________ // 8 // // 9 // // 10 // // 11 // // 12 // // 13 // न हु सुज्झई ससल्लो जह भणियं सासणे धुयरयाणं / उद्धरियसव्वसल्लो सिज्झइ जीवो धुयकिलेसो उद्धरियसव्वसल्लो भत्तपरिण्णाए धणियमाउत्तो / मरणाराहणजुत्तो चंदगवेझं समाणेइ आराहणाए जुत्तो सम्म काऊण सुविहिओ कालं / उक्कोसं तिन्नि भवे गंतूण लभिज्ज निव्वाणं उद्धरियसव्वसल्लो आलोइय निदिउं गुरुसगासे / होइ अइरेगलहुओ ओहरियभरो व्व भारवहो आलोयणाअसझं तु न अत्थि भुवणत्तिए / बोहिलाभं पमुत्तूणं हारिओ सो न लब्भए संजईपडिसेवाए देवदव्वस्स भक्खणे / इसिघाए सासणुड्डाहे बोहिधाओ निवेइओ आयाराइगुणड्डाणं गुरूणं गुणभाविओ। काऊणं वंदणाईयं आलोएज्ज वियक्खणो / सुगुरूणमलाभम्मि आलोएज्जाऽववायओ। . संविग्गपक्खियाणं गीयत्थाणं तु अंतिए तदभावम्मि आलोए सिद्धे काऊण माणसे / आराहणा ससल्लाणं जओ नस्थि ति आगमो. आलोएज्जा य संविग्गो अगोवितोऽत्थ दुक्तियं / आरब्भं बालभावाओ जं जहा विहियं पुरा जह बालो जंपतो कज्जमकज्जं च उज्जुयं भणइ / तं तह आलोएज्जा माया-मयविप्पमुक्को य सहसा अन्नाणेण व भीएण व पिल्लिएण. व परेणं / वसणेणाऽऽयंकेण व मूढेण व राग-दोसेहि 213 // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // // 18 // // 19 //