________________ // 36 // // 37 // // 38 // // 39 // // 40 // // 41 // जह कालेण तवेण य भुत्तरसं कम्मपुग्गलं जेण। भावेण सडदि णेया तस्सडणं चेदिणिज्जरा दुविहा सव्वस्स कम्मणो जो.खयहेऊ अप्पणो हु परिणामो / णेओ स भावमुक्खो दव्वविमुक्खो प्पकम्मपुहभावो सुहअसुहभावजुत्ता पुण्णं पापं हवंति खलु जीवा / सादं सुहाओ णामं गोदं पुण्णं पराणि पावं च सम्मइंसणणाणं चरणं मोक्खस्स कारणं जाण / ववहारा णिच्छयदो तत्तियमइओणिओ अप्पा रयणत्तयं ण वट्टइ अप्पाणं मुइत्तु अण्णदव्वम्मि। तम्हा तत्तियमइओ हंदि हु मोक्खस्स कारणं आदा जीवादीसदहणं सम्मत्तं रूवमप्पणो तं तु / दुरभिणिवेसविमुक्कं णाणं सम्मं खु होदि सदिजम्हि संसयविमोहविब्भमविवज्जिअं अप्पसरूवस्स / गहणं सम्मण्णाणं सायारमणेयभेयं च जं सामन्नं गहणं भावाणं णेव कट्टमायारं। . अविसेसिऊण अटे दंसणमिदि भणए समए दंसणपुव्वं णाणं छदुमत्थाणं ण दुण्णि उवओगा / जुगवं जम्हा केवलिणाहे जुम्वं तु ते दो वि असुहादो विणिवित्ती सुहे पवित्ती य जाण चारित्तं / वदसमिदिगुत्तिरुवं ववहारणया दु जिणभणियं बहिरभिंतर किरियारोहो भवकारणप्पणासटुं / णाणिस्सजं जिणुत्तं तं परमं शुद्धचारितं दुविहं विमुक्खहेउं झाणे पाऊणदि जं मुणी णियमा। तम्हा पयत्तचित्ता जूयं झाणं समज्झसह // 42 // // 43 // // 44 // // 45 // // 46 // // 47 // 57