________________ संति जदो ते णेदे अत्थि त्ति भणंति जिणवरा जम्हा। काया इव बहुदेसा तम्हा काया य अस्थिकाया य. // 24 // होंति असंखा जीवे धम्माधम्मे अणंत आगासे। मुत्ते तिविह पएसा कालस्सेगो ण तेण सो काउ .. // 25 // एयपएसो वि अणू णाणाखंधप्पदेसदो होदि। बहुदेसो उवयारा तेण य कायं भणंति सव्वण्णू // 26 // जावदियं आयासं अविभागी पुग्गलेण उद्बुद्धं / तं खु पदेसं जाणे सव्वाणुट्ठाणदाणरिहं, // 27 // आसव-बंधण-संवर-णिज्जर-मोक्खा-सपुण्णपावा जे। .. जीवाजीवविसेसा ते वि समासेण पभणामो // 28 // आसवदि जेण कम्मं परिणामो अप्पणो स विण्णेओ। भावासवो जिणुत्तो दव्वासवणो परो होदि // 29 // मित्थत्ताविरदिपमादजोगा कोधादओ य विण्णेया / पणपणपणदसतियचउ कमसो भेदा दु पुव्वस्स // 30 // णाणावरणादीणं जोगं जं पुग्गलं समासवदि . दव्वासओ स णेओ अणेयभेओ जिणक्खाओ // 31 // बज्झदि कम्मं जेणदु चेदणभावेण भावबंधो सो। कम्मादपदेसाणं अण्णोण्णपवेसणं इयरो। // 32 // पयडिट्ठिदि अणुभाग-प्पदेसभेदादु चउविधो बंधो। जोगा पयडिपदेसा ठिदिअणुभागाकसायदोहुंति // 33 // चेदणपरिणामो जो कम्मस्सासवणिरोहणे हेऊ / सो भावसंवरो खलु दव्वासवरोहणे अण्णो // 34 // वदसमिदीगुत्तीओ धम्माणुपेहापरीसहजओ या . चारित्तं बहुभेया णादव्वा भावसंवरविसेसा . // 35 // પs