________________ // 58 // // 59 // // 60 // // 61 // // 62 // // 63 // क्षान्त्यादिगुणयुक्तानां, ज्ञानिनां क्षीणकर्मणाम् / आत्मस्वरूपेऽवस्थान-मात्मनो मोक्ष उच्यते . सर्वसन्तापकृत् क्रोधो, ज्वलन्निव दवानलः / मन्तव्या मेघमालेव, क्षान्तिस्तस्योपशान्तये क्षमा क्षमा हि धर्मस्य, सर्ववैरनिबर्हणी / अमन्दानन्दसन्दोहा, ध्यातव्या धीधनैः सदा वाल्लभ्यबुद्धिलाभौजो-जातिरूपकुलश्रुतैः / दन्तिवन्मदमत्तानां, वारणं मार्दवाङ्कुशम् मृदुता सर्वभूतानां, मैत्रीभावसमुद्भवा / मातृभूता हि धर्मस्य, विकर्ममलमार्जनी मायासदर्पसर्पिण्याः, प्रसर्पिण्या जिघत्सया / निर्विषीकरणे तस्या, ऋजुता दमनौषधी ऋजुता जन्तुजातानां, कषायकषणात्मिका / निकषो धर्महेम्नोऽसौ, भूमिर्मोक्षस्य सम्मता वर्द्धमानमलं व्यालं, वेतालं ललितोल्बणम् / . ताडयेत्तोषदण्डेन, लोभाढू भावभीषणम् संयमो नयनैपुण्य-निदानं तद्भवा गुणाः / तैविभूतिः प्रभूता स्या-त्तस्या मङ्गलमालिका मनोवाक्कायदण्डानां, कषायाणां च धर्षणातू / ' अक्षाणामात्रवाणां च, संवृत्त्या संयमः स्मृतः हिंसा पिशाचिका पापा, सत्पथप्रतिपन्थिनी / तस्या दयासमुद्भूतं, शौचमुच्छेदनक्षमम् भावशुद्धिभवं शौचं, पापपङ्कप्रमाकम् / धर्मकर्मकरं सम्य-गात्मनैर्मल्यकारकम् // 64 // // 65 // // 66 // / / 67 // // 68 // // 69 //