________________ सूरिपुरन्दरश्रीमद्धर्मघोषसूरिकृतः - ॥योनिस्तवः // देविंदनयं विज्जाणंदमयं धम्मकित्तिकुलभवणं / अणुभूयजोणिजाई, वीरजिणं विनवेमि अहं सुरनरएसु अचित्ता, सचित्ताचित्ता उ सनितिरिमणुए / विगलअसनिइगिदिसु, सचित्ताचित्तमीस तिहा // 2 // सीआ उसिणा मीसा, तिह भूजलऽनिलअसन्निविगलवणे / सीओसिणसुरगन्भे, सीआ उसिणा दुहा नरए // 3 // उसिणा य. तेउकाए, संवुडजोणी इगिदिसुरनिरए / विगलासन्निसु वियडा, संवुडवियडा य गब्भम्मि // 4 // कुम्मुन्नयाइ उत्तमनरवंसीपत्तजोणि सेसनरा / नियमा गब्भविणासी, संखावत्ता उ थीरयणे मुच्छंडजराउब्भिअ-संसेउववायपोअरसय तसा / मूलग्गपोरखंधा-बीयरुहा मुच्छ वणजोणी // 6 // चउदस मणुअनिगोए,भूजलपवणग्गि जोणि सगलक्खा / चउ तिरिअनारयसुरे, दुदु विगले दस परित्तवणे चुलसीइलक्खजोणिसुं, इअ समवनाइ जोणिबहुलक्खे / इक्किका उ भमिओ, कुलकोडिलक्ख पूरंतो कुलकोडिलक्ख तिन्नि उ, जलणम्मि वणम्मि अट्ठवीसाओ। सत्त जले सग पवणे, अद्धतेरस जलयरेसु // 9 // बारस भूनरपक्खिसु, बितिचउरिंदीसु सत्त अट्ठ नव / नव भुअपरिसप्पेसुं, दस सप्पचउप्पएसु पुढो // 10 // नरएसु पन्नवीसा, छव्वीस सुरेसु सव्वओ भमिओ। . इगकोडिकोडि सड्ढा, सगनउई लक्ख कुलकोडी // 11 // // 7 // // 8 //