________________ देवेन्द्रप्रकरणम् . तेलोकमत्थयत्थे, सिद्धे अभिवंदिऊण तिविहेण / देविंदया उ वोच्छं, गुरूवएसाणुसारेण // 128 // तेरस बारस छ प्पंच चेव चत्तारि चउसु कप्पेसु / गेवेज्जेसुं तिय तिय, एगो उ अणुत्तरेसु भवे // 129 // बावढि विमाणिंदा, पढमावलिया वि तत्तिया चेव / एगट्ठी पुण बीए, सेसा एकेक्कपरिहीणा // 130 // उडुचंदरययवग्गू, वीरियवरुणे तहेव आणंदे / बंभे कंचणरूइले(रे), चंचे अरुणे दिसे चेव // 131 // वेरुलियरुयगरुइगा(या), अंके फलिहे तहेव तवणिज्जे / / मेहे अग्घे हालिद्द णलिण तह लोहियक्खे य . // 132 // वइरे अंजणवरमालअद्धेि तह य देव सोमे य / णंगल बलभद्दे या, चक्क गया सोत्थि णंदयावत्तो // 133 // आभंकरे य गिद्धी, केऊ गरुले य होइ बोधव्वे / बंभे बंभहिए पुण, बंभुत्तर लंतए चेव / // 134 // महसुक्कसहस्सारे, आणय तह पाणए य बोधव्वे / पुप्फमलंकारे आरणे य तह अच्चुए चेव // 135 // सुदंसणे सुप्पबुद्धे, मणोरमे चेव होति बोधव्वे। तत्तो य सव्वओभदे, विसाले सुमणे इय . // 136 // सोमणसे पीइकरे, आइच्चे चेव होइ बोधव्वे / सव्वट्ठसिद्धिणामे, सुरिंदया एते बावट्ठी // 137 // उडुप्पभं च पुव्वेण, उडुमज्झं दक्खिणे दिसाभागे। उडुयावत्तं अवरेणुडुसिटुं उत्तरे पासे // 138 // 280