________________ // 432 // // 433 // // 434 // // 435 // // 436 // // 437 // तिदुगसयं छप्पंचगतिगनउई नउइ इगुणनउई य / चउतिगदुगाहिगासी नव अट्ठ य नामठाणाइं . एगे छ दोसु दुगं पंचसु चत्तारि अट्ठगं दोसु / कमसो तीसु चउक्कं छत्तु अजोगम्मि ठाणाणि मूलठिई अजहन्नं तिहा चउद्धा य पढमगकसाया / तित्थयरुव्वलणायुगवज्जाणि तिहा दुहाणुत्तं जेट्ठठिई बंधसमं जेटुं बंधोदया उ जासि सह / अणुदयबंधपराणं समऊणा जट्ठिई जेटुं संकमओ दीहाणं सहालिगाए उ आगमो संतो / समऊणमणुदयाणं उभयासिं जट्ठिई तुल्ला संजलणतिगे सत्तसु य नोकसाएसु संकम जहन्नो। सेसाण ठिई एगा दुसमयकाला अणुंदयाणं - ठिइसंतट्ठाणाई नियगुक्कस्सा हि थावरजहन्नं / नेरंतरेण हेट्ठा खवणाइसु संतराइं. पि संकमसममणुभागे नवरि जहन्नं तु देसघाईणं / .. छनोकसायवज्जाण एगट्ठाणम्मि देसहरं मणनाणे दुट्ठाणं देसहरं सामिंगो य सम्मत्ते / / आवरणविग्घसोलसग किट्टिवेएसु य सगंते मइसुयचक्खुअचक्खूण सुयसंमत्तस्स जेट्ठलद्धिस्स / परमोहिस्सोहिदुगं मणनाणं विउलनाणस्स 'बंधहयहउप्पत्तिगाणि कमसो असंखगुणियाणि / उदयोदीरणवज्जाणि होति अणुभागठाणाणि सत्तण्हं अजहन्नं तिविहं सेसा दुहा पएसम्मि / मूलपगईसु आउसु साई अधुवा य सव्वे वि // 438 // // 439 // // 440 // // 441 // // 442 // // 443 // પ