________________ खंडदलं सट्ठाणे समए समए असंखगुणणाए / सेढीए परठाणे विसेसहीणाए संछुभइ - // 576 // दुचरिमखंडस्स दलं चरिमे जं देइ सपढाणम्मि / तम्माणेणऽस्स दलं पल्लंगुलऽसंखभागेहिं .. // 577 // एवं उव्वलणासंकमेण णासेइ अविरओ हारं। सम्मोऽणमिच्छमीसे छत्तीस ऽनियट्टि जा माया // 578 // सम्ममीसाई मिच्छो सुरदुगवेउव्विछक्कमेगिंदी / सुहुमतसुच्चमणुदुगं अंतमुहुत्तेण अमिअट्टी // 579 / संसारत्था जीवा सबन्धजोगाण तद्दलपमाणा / संकामे तऽणुरूवं अहापवत्तीए तो नाम // 580 असुभाण पएसग्गं बझंतीसु असंखगुणणाए / सेढीए अपुव्वाई छुभन्ति गुणसंकमो एसो - // 581 / चरमठिईए रइयं पइसमयमसंखियं पएसग्गं / ता छुभइ अन्नपगई जावंते सव्वसंकामो // 582 / बाहिय अहापवत्तं सहेउणाहो गुणो व विज्झाओ / उव्वलणसंकमस्स वि कसिणो चरमम्मि खंडम्मि पिंडपगईण जा उदयसंगया तीए अणुदयगयाओ / संकामिऊण वेयइ जं एसो थिबुगसंकामो // 584 / गुणमाणेणं दलिअं हीरन्तं थोवएण निट्ठाइ / कालोऽसंखगुणेणं अह विज्झाउव्वलणगाणं // 585 / जं दुचरिमस्स चरिमे सपढाणेसु देइ समयम्मि। . ते भागे जहकमसो अहापवत्तुव्वलणमाणे // 586 चउहा धुव छव्वीसगसयस्स अजहन्न संकमो होइ / अणुक्कसो वि हु वज्जिय ओरालावरणनवविग्धं // 587 12