________________ जासि बन्धनिमित्तो उक्कोसो बन्ध मूलपगईणं / ता बन्धुक्कोसाओ सेसा पुण संकमुक्कोसा // 540 // बन्धुक्कोसाण ठिई मोत्तुं दो आवली उ संकमइ / सेसा इयराणं पुण आवलियतिगं पमोत्तूणं // 541 // तित्थयराहाराणं संकमणे बन्धसन्तएसुं पि / अन्तो कोडाकोडी तहा वि ता संकमुक्कोसा // 542 // एवइयतया जं सम्मद्दिट्ठीण सव्वकम्मेसु / आऊणि बन्धुक्कोसगाणि जं ननसंकमणं // 543 // गंतुं सम्मो मिच्छंतस्सुक्कोसं ठिइं च काऊणं / मिच्छियराणुक्कोसं करेति ठितिसंकमं सम्मो // 544 // अंतोमुहुत्तहीणं आवलियदुहीण तेसु सट्ठाणे / उकोससंकमपहू उक्कोसगबन्धगन्नासु . // 545 // बन्धुक्कोसाणं आवलिए आवलिदुगेण इयराणं / हीणा सव्वा वि ठिई सो जट्ठिइसंकमो भणिओ // 546 // साबाहा आउठिई आवलिगूणा उ जट्ठिइ सठाणे / एका ठिई जहन्नो अणुदइयाणं निहयसेसा // 547 // जो जो जाणं खवगो जहन्नठिइसंकमस्स सो सामी। सेसाणं तु सजोगी अंतमुहत्तं जओ तस्स // 548 // उदयावलिए छोभो अन्नपगईए जो उ अंतिमओ / सो संकमो जहन्नो तस्स पमाणं इमं होइ.. // 549 // संजलणलोभनाणंतरायदंसणचउक्कआऊणं / सम्मत्तस्स य समओ सगआवलियातिभागम्मि // 550 // खविऊण मिच्छमीसे मणुओ सम्मम्मि खविय सेसम्मि। . चउगईओ वि उ होउं जहन्नठिति संकमस्सामी // 551 // // ण / . . . . 180