________________ संपुण्णगुणियकम्मो, पएसउक्कस्ससंतसामीओ। तस्सेव सत्तमीनिग्गयस्स काणं विसेसो वि // 363 / मिच्छमीसेहिं कमसो, संपक्खित्तेहिं मीससम्मेसु। . वरिसधरस्स उ ईसाणस्स चरिमम्मि समयम्मि // 364 / ईसाणे पूरित्ता, नपुंसगं तो असंखवासीसु। पल्लासंखियभागेण, पूरिए इत्थीवेयस्स . // 365 / जो सव्वसंकमेणं इत्थी पुरिसम्मि छुहइ सो सामी। पुरिसस्स कमा संजलणयाण सो चेव संछोभे . // 366 / चउरुवसामिय मोहं, जसुच्चसायाण सुहमखवगंते / जं असुभपगइदलियस्स संकमो होइ एयासु // 367 / अद्धाजोगुक्कोसेहिं देवनिरयाउगाण परमाए / परमं पएस संतं, जा पढमो उदयसमओ सो // 368 / सेसाउगाणि नियगेसु चेव आगंतु पुव्वकोडीए / सायबहुलस्स अचिरा, बंधते जाव नोवट्टे // 369 पूरित्तु पुव्वकोडीपुत्तनारयदुगस्स बंधते / एवं पलियतिगंते, सुरदुगवेउव्वियदुगाणं // 370 तमतमगो अइखिप्पं, सम्मत्तं लभिय तम्मि बहुगद्धं / मणुयदुगस्सुक्कोसं, सवज्जरिसभस्स बंधते // 371 बेछावट्ठिचियाणं, मोहस्सुवसामगस्स चउखुत्तो। सम्मधुवबारसण्हं, खवगम्मि सबंधअंतम्मि // 372 सुभथिरसुभधुवियाणं, एवं चिय होइ संतमुक्कोसं। . तित्थयराहाराणं, नियनियगुक्कोसबंधते . // ३७३तुल्ला नपुंसगेणं, एगिदियथावरायवुज्जोया / / सुहुमतिगं विगला वि य, तिरिमणुयचिर च्चिया नवरि // 374 104