________________ 86 // एवं जीवसमासा बहुभेया वन्निया समासेणं / एवमिह भावरहिया अजीवदव्वा उ विनेया . // 84 // ते उण धम्माधम्मा आगास अरूविणो तहा कालो। खंधा देस पएसा अणुत्ति वि य पोग्गला रूवी - // 85 // गइ-ठाण-वगाहणलक्खणाणि कमसो य वत्तणगुणो य / . रूव-रस-गंध-फासाइ कारणं कम्मबंधस्स दव्वे खेत्ते काले भावे य चउव्विहं पमाणं तु / दव्व-पएसविभागं पएसमेगाइयमणंतं' २१मण // 87 // माणुम्माणऽवमाणं पडिमाणं गणियमेव य विभागं / ... पत्थ(एत्थ)-कुडवाइ धन्ने चउभागविवड्ढियं च रसे // 88 // कंसाइयमुम्माणं अवमाणं चेव होइ दंडाई / पडिमाणं धरिमेसु य भणियं एक्काइयं गणिमं __ // 89 // दंडो धणू जुग-नालिय अक्खो मुसलं च होइ चउहत्थं / दसनालियं च रज्जु वियाणओमाणसण्णाए / // 90 // खेत्तपमाणं दुविहं विभाग-ओगाहणाए निष्फन्नं / एगपएसोगाढाइ होइ ओगाहणमणेगं // 91 // अंगुल-विहत्थि-रयणी-कुच्छी-धणु-गाउयं च सेढी य।। पयरं लोग-मलोगो खेत्तपमाणस्स पविभागा // 92 // तिविहं च अंगुलं पुण उस्सेहंगुल-पमाण-आयं च / एक्केक्कं पुण तिविहं सूई- पयरंगुल-घणं च // 93 // सत्थेण सुतिक्खेण वि छेत्तुं भेत्तुं व जं किर न सक्का / - तं परमाणुं सिद्धा वयंति आई पमाणाणं // 94 // परमाणू सो दुविहो सुहुमो तह वावहारिओ चैव। . सुहुमो य अप्पएसो ववहारनएणऽणंतओ खंधो / // 95 //