________________ // 48 // // 49 // // 50 // तिरितियउज्जोऊणं, पणुवीसं मोत्तु सुरनराउजुयं / चउहत्तरं तु मीसा, बंधहिँ कम्माण पयडीओ तित्थयरसुरनराउयसहिया अजयम्मि होइ सगसयरी / देसाइनवसु ओघो, भव्वेसु वि सो अभव्व मिच्छसमा ओघो वेयगसम्मे, अजयाइचउक्क खाइगेवोघो / अजयादजोगि जाव उ, ओघो उवसामिए होइ उवसम्मे वटुंता, चउण्हमिकं पि आउयं नेय / बंधंति तेण अजया, सुरनरआऊहिँ ऊणं तु ओघो देसजयाइसु, सुराउहीणो उ जाव उवसंतो / ओघो सण्णिसु नेओ, मिच्छाभंगो असण्णीसु साणे वि असण्णिस्सा, भंगा सण्णुब्भवा, मुणेयव्वा / आहारगेसु ओघो, इयरेसु य कम्मणो भंगो / इय पुव्वसूरिकयपगरणेसु जडबुद्धिणा मए रइयं / बंधस्सामित्तमिणं, नेयं कम्मत्थयं सोउं // 51 // // 52 // // 53 // // 54 // ___ श्री जिनवल्लभगणिविरचितः // षडशीतिनामा चतुर्थः प्राचीनकर्मग्रन्थः // निच्छिन्नमोहपासं, पसरियविमलोरुकेवलपयासं / पणयजणपूरियासं, पयओ पणमित्तु जिणपासं // 1 // वोच्छामि जीवमग्गणगुणठाणुवओगजोगलेसाई / किंचि सुगुरूवएसा, सत्राणसुझाणहेउ त्ति // 2 // इह सुहुमबायरेगिदि बितिचउ असन्नि सन्निपंचिंदी। अपजत्ता पज्जत्ता, कमेण चउदस जियट्ठाणा . 135