________________ अज्ञातकर्तृक: // कर्मस्तवाख्यः द्वितीयः प्राचीनकर्मग्रन्थः // नमिऊण जिणवरिंदे, तिहुयणवरनाणदंसणपईवे / बंधुदयसंतजुत्तं, वोच्छामि थयं निसामेह - // 1 // मिच्छद्दिट्ठी सासायणे य तह सम्ममिच्छदिट्ठी य / अविरयसम्मद्दिट्टी, विरयाविरए पमत्ते य // 1 // तत्तो य अप्पमत्ते, नियट्टिअनियट्टिबायरे सुहुमे। उवसंतखीणमोहे, होइ सजोगी अजोगी य // 2 // मिच्छे सोलस पणुवीस सासणे अविरए य दस पयडी। चउछक्कमेग देसे, विरए य कमेण वोच्छिन्ना दुगतीसचउरपुव्वे, पंच नियट्टिम्मि बंधवोच्छेओ। सोलस सुहुमसरागे, साय सजोगी जिंणवरिंदे // 3 // पण नव इग सत्तरसं, अड पंच य चउर छक्क छ च्चेव। इग दुग सोलस तीसं, बारस उदए अजोगंता // 4 // पण नव इग सत्तरसं, अट्र य चउर छक्क छ च्चेव / इग दुग सोल गुयालं, उदीरणा होइ जोगंता अणमिच्छमीससम्मं, अविरयसम्माइअप्पमत्तंता / सुरनरयतिरियआउं, निययभवे सव्वजीवाणं // 6 // सोलस अट्ठक्केकं, छक्केक्के केक्क खीणमनियट्टी / एगं सुहुमसरागे, खीणकसाए य सोलसगं // 7 // बावतरं दुचरिमे, तेरस चरिमे अजोगिणो खीणे / . अडयालं पयडिसयं, खवियजिणं निव्वुयं वंदे नाणस्स दंसणस्स य, आवरणं वेयणीयमोहणियं / आउयनामं गोयं, तहंतरायं च पयडीओ 126 // 8 // // 9 //