________________ // 148 // // 149 // // 150 // // 151 // // 152 // देहंगावयवाणं लिंगागिइ जाइ नियमणं जं च / तहिँ सुत्तहारसरिसो निम्माणे होइ हु विवागो उदए जस्स सुरासुरनरवइनिवहेहिँ पूइओ होइ / तं तित्थयरं नामं तस्स विवागो उ केवलिणो भणियं नाम कम्मं अहुणा गोयं तु सत्तमं भणिमो / तं पि कुलालसमाणं दुविहं जह होइ तह भणिमो जह इत्थ कुंभकारो पुढवीए कुणइ एरिसं रूवं / जं लोयाओ पूर्य, पावइ इह पुण्णकलसाई भुंभुलमाई अन्नं, सो च्चिय पुढवीएँ कुणइ रूवं तु / जं लोयाओ निंद, पावइ अकए वि मज्जम्मि एवं कुलालसमाणं, गोयं कम्मं तु होइ जीवस्स / उच्चानीयविवागो जह होइ तहा निसामेह अधणी बुद्धिविउत्तो, रूवविहूणो वि जस्स उदएणं / लोयम्मि लहइ पूर्य, उच्चागोयं तयं होइ सधणो रूवेण जुओ, बुद्धीनिउणो वि जस्स उदएणं / लोयम्मि लहइ निदं, एयं पुण होइ नीयं तु गोयं भणियं अहुणा, अट्ठमयं अंतराययं होइ। तं भंडारियसरिसं, जह होइ तहा निसामेह जह राया इह भंडारिएण विणिएण कुणइ दाणाई / तेण उ पडिकूलेणं, न कुणइ सो दाणमाईणि जह राया तह जीवो, भंडारी जह तहंतरायं च / तेण उ विबन्धएणं, न कुणइ सो दाणमाईणि तं दाणलाभभोगोवभोगविरियंतराय पंचमयं / ' एएसिं तु विवागं, वोच्छामि अहाणुपुव्वीए // 153 // // 154 // // 155 // // 156 // // 157 / / // 158 // // 159 // 124