________________ // 184 // // 185 // // 186 // // 187 // तिदुनवई गुणनवई अडसीई तह य गुणसीइ / छप्पणहत्तरि इत्तो अबंधि सेसेसु उदएसु वीसछवीसडवीसे गुणसी पन्नत्तरी य संताई / गुणतीसे इगुणासी छप्पणसयरी असी चेव नव उदए संताई असीइ छावत्तरीय नव चेव / अट्ठदए ते चेव उ एगूणा तित्थनामेण असीइ छसयरि दुन्नि उ इगविसिगतीससत्तवीसाए / अडवीसे पुण बंधे दुनवई अडसीइ सव्वत्थ इगतीसुदए छासी छासी गुणनवइ तिसुदए अहिया / गुणनवई कस्स भन्नइ मिच्छदिट्ठिस्स नन्नस्स गुणनवइ कहं भन्नइ चियतित्थो वेयगो गओ मिच्छं / बंधेइ नरगजोग्गं अडवीसं तीस उदयम्मि पत्तस्स तस्स नरगे उदएगवीसाइबंधि गुणतीसा। अंतमुहुत्तं ततो सतित्थतीसं चिणइ सेसे इय सव्वकम्मबंधाइरूवणा लेंसओ मए भणिया / संतंता ताणंतं अभयपुरं इच्छमाणेण / // 188 // // 189 // // 190 // // 191 // . श्वेताम्बराग्रण्यश्रीमद्गर्गमहर्षिविरचितः ॥कर्मविपाकाख्यः प्रथमः प्राचीनकर्मग्रन्थः // ववगयकम्मकलंकं, वीरं नमिऊण कम्मगइकुसलं / वोच्छं कम्मविवागं, गुरूवइ8 समासेणं कीरइ जओ जिएणं, मिच्छत्ताईहिँ चउगइगएणं / तेणिह भण्णइ कम्मं, अणाइयं तं पवाहेणं // 2 // तस्स उ चउरो भेया, पगईमाईउ हुंति नायव्वा / मोयगदिद्रुतेणं पगईभेओ इमो होइ . 111 // 3 //