________________ // 2 // // 3 // // 4 // श्री पूर्वभृत्सूरिसूत्रितः * ॥जीवसमासः // दस चोद्दस य जिणवरे चोद्दसगुणजाणए नमंसित्ता / चोद्दस जीवसमासे समासओऽणुक्कमिस्सामि निक्खेवनिरुत्तीहिं छहिं अट्ठहिं याणुओगदारेहिं / गइयाइमग्गणाहिं य जीवसमासाऽणुगंतव्वा नामं ठवणा दव्वे भावे य चउव्विहो य निक्खेवो / कत्थइ य पुण बहुविहो तयासयं पप्प कायव्वो किं कस्स केण कत्थ व केवचिरं कइविहो उ भावो त्ति / छहिं अणुओगदारेहिं सव्वे भावाऽणुगंतव्वा संतपयरूवणया दव्वपमाणं च खित्तफुसणा य / / कालंतरं च भावो अप्पाबहुयं च दाराई // 5 // गइ इंदिए य काए जोए वेए कसाय नाणे य / संजम दंसण लेसा भव सम्मे सण्णि आहारे // 6 // आहार - भव्व - जोगाइएहिं एगुत्तरा बहू भेया / एत्तो उ चउदसण्हं इहाणुगमणं करिस्सामि // 7 // मिच्छा-ऽऽसायण-मिस्सा अविरयसम्मा य देसविरया य / विरया पमत्त इयरे अपुव्व-अणियट्टि-सुहुमा य उवसंत-खीणमोहा सजोगिकेवलिजिणो अजोगी य / चोद्दस जीवसमासा कमेण एएऽणुगंतव्वा // 9 // दुविहा होति अजोगी, सभवा अभवा, निरुद्धजोगी य / इह सभवा, अभवा उण सिद्धा जे सव्वभवमुक्का // 10 // निरयगइ तिरिय-मणुया देवगई चेव होइ सिद्धि गई। नेरइया उण नेया सत्तविहा पुढविभेएण // 11 // // 8 //