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________________ // 42 // // प्र० 10 // // प्र० 12 // // प्र० 12 // // 43 // // 44 // अकहिंसु तुंगियाए सरागतव-संजमेहि समणा वि / कम्मावसेसपडिबंधओ य देवा हविज्जति जंतंतपंचरत्तं पाओवगयं तु खायइ सियाली / मुग्गिल्लसेलसिहरे वंदे कालासवेसरिसिं धम्मे दढसन्नाहो जो निच्चं मंदरो इव अकंपो। इहलोगनिप्पिवासो परलोगगवेसओ धीरो जो सोमेण जमेण य वरुणेण वेसमणेण य महप्पा / मुग्गिल्लसेलसिहरे नमंसिओ तं नमंसामि कालासवेसियसुओ आया सामाइय त्ति थेराणं। वयणं सोउं पडिवन्नपंचजामो गओ सिद्धि पुक्खलवईइ विजए सामी पुंडरिगिणीइ नयरीए। दढुण कंडरीयस्स कम्मदुव्विलसियं घोरं सिरिपुंडरीयराया निक्खंतो काउं निम्मलं चरणं / थोवेण वि कालेणं संपत्तो जयउ सव्वढे वीरजिणपुव्वपियरो देवाणंदा य उसभदत्तो य। इक्कारसंगविउणो होऊणं सिवसुहं पत्ता संबुद्धो दगुणं रिद्धि वसहस्स जो अरिद्धिं च / सो करकण्डू राया कलिंगजणवयवई जयउ पंचालदेसअहिवो पूअमपूअं च इंदकेउस्स / दटुं विरत्तकामो पव्वइओ दोमुहनरिंदो सुच्चा बहूण सदं वलयाणमसद्दयं च एगस्स। बुद्धो विदेहसामी सक्केण परिक्खिओ य नमी उप्फुल्लपल्लवं विगयपल्लवं तह य दटुं चूयतरूं। गंधारण्यवसहो पडिवन्नो नग्गई मग्गं // 45 // // 46 // // 47 // // 48 // // 49 // // 50 // 280
SR No.004462
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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