________________ वस्त्रावृतमुखो मौनी हरन् सर्वाङ्गजं श्रमम् / गुरुं संवाहयेद्यत्नात्पादस्पर्श त्यजन्निजम् . .. // 190 // ग्रामचैत्ये जिनं नत्वा ततो गच्छेत्स्वमन्दिरम् / प्रक्षालितपदः पञ्चपरमेष्ठिस्तुतिं स्मरेत् * // 191 // अर्हन्तः शरणं संतु सिद्धाश्च शरणं मम / शरणं जिनधर्मो मे साधवः शरणं सदा // 192 // नमः श्रीस्थूलभद्राय कृतभद्राय तायिने / शीलसत्राहमाधृत्य यो जिगाय स्मरं स्यात् // 193 // गृहस्थस्यापि यस्यासीच्छीललीला बृहत्तरा.। नमः सुदर्शनायास्तु सद्दर्शनकृतश्रिये // 194 // धन्यास्ते कृतपुण्यास्ते मुनयो जितमन्मथाः / आजन्म निरतिचारं ब्रह्मचर्यं चरन्ति ये: // 195 // निःसत्त्वो भूरिकर्माहं सर्वदाप्यजितेन्द्रियः / नैकाहमपि यः शक्तः शीलमाधातुमुत्तमम् // 196 // संसार ! तवनिस्तारपदवी न दवीयसी। अन्तरा दुस्तरा न स्युर्यदि रे मदिरेक्षणाः // 197 // अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलोभता / अशौचं निर्दयत्वं च स्त्रीणां दोषाः स्वभावजाः // 198 // या रागिणि विरागिण्यः स्त्रियस्ताः कामयेत कः / सुधीस्तां कामयेन्मुक्ति या विरागिणि रागिणी // 199 // एवं ध्यायन् भजेन्निद्रां स्वल्पकालं समाधिमान् / भजेन्न मैथुनं धीमान् धर्मपर्वसु कहिचित् // 200 // नातिकालं निषेवेत प्रमीलां धीनिधिः पुनः / . अत्याहता भवेदेषा धर्मार्थसुखनाशिनी // 201 // 42